बुधादित्य योग
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- बुधादित्य योग
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कुंडली में बुधादित्य योग बनने से मिलता है धन, वैभव और मान-सम्मान , इस योग का अलग अलग भावो में फल विस्तार से
लग्न भाव
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, कुंडली में व्यक्ति के प्रथम भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो मान-सम्मान तथा यश की प्राप्ति होती है। व्यक्ति चतुर तथा बुद्धिमानी होती है। लेकिन व्यक्ति को बचपन से सेहत के मामले में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। स्वभाव से वह क्षमाशील, उदार, साहसी व आत्मसम्मानी होता है। बुधादित्य योग बनने से व्यक्ति करियर को लेकर गंभीर रहता है और अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए कार्य करता रहता है।
द्वितीय भाव
कुंडली में व्यक्ति के द्वितीय भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो उसको सुखी जीवन के साथ-साथ ऐशवर्य की प्राप्ति होती है। हर चीज के बारे में जानकारी लेना उसको पसंद होता है, इसलिए किताबों से ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करने में समय व्यतीत करते हैं। वैवाहिक जीवन उसका समर्थवान होता है और व्यवसाय में कामयाबी प्राप्त करता है। इन लोगों के दूसरों के धन से व्यापार कर सफल होते हैं। इस भाव में यह योग बनने पर पुराने कर्जों से मुक्ति मिलती है। यह योग धन संपत्ति तथा कई अन्य प्रकार के शुभ फल इस भाव में प्रदान करता है।
तृतीय भाव
कुंडली में व्यक्ति के तीसरे भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो भाई-बहनों से ज्यादा स्नेह नहीं रहता है और रिश्तेदारों से कष्ट मिलता है। साथ ही भाग्योदय के कई अवसरों को खो देता है लेकिन नौकरी पेशा और व्यवसाय में सफलता प्राप्त करता है। माता-पिता का पूर्ण सहयोग मिलता है और रचनात्मक कार्य करने की इच्छा जागृत होती है। सेना, पुलिस तथा राजनीति से संबंधित व्यक्ति को अच्छे पद की प्राप्ति होती है। पराक्रम भाव में यह योग होने पर शत्रुओं से मुक्ति मिलती है और बिना रूके कार्य पूरे होते रहते हैं।
चतुर्थ भाव
कुंडली में व्यक्ति के चौथे भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो वह विद्वानों और श्रेष्ठ लोगों के साथ रहना ज्यादा पसंद करता है। इस योग में व्यक्ति को आशतीत सफलता मिलती है लेकिन कानूनी मामलों में अपराधनी बना देता है। साथ ही माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखना पड़ता है। व्यक्ति को वाहन सुख, विदेश यात्रा, सराकरी सुख, अपना घर आदि जीवन में यह योग प्रदान करता है। मित्रों एवं सहयोगियों का साथ एवं प्रेम मिलता है। इस योग से जीवनसाथी का भाग्य प्रबल हो जाता है और साथ देता है।
पंचम भाव
कुंडली में व्यक्ति के पांचवें भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो बहन और भाभी के साथ वैचारिक मतभेद देखने को मिलते हैं। यह योग अल्प संतान लेकिन गुणवान संतान प्रदान करता है और जातक का नाम रौशन करता है। आध्यात्म और कलात्मक क्षेत्र में रुचि बढ़ती है। कार्यक्षेत्र में नेतृत्व और धार्मिक यात्रा पर जाने का योग बनता है। ऐसे में जातक को जीवन के अन्य क्षेत्र में सफलता मिलती है बशर्ते वह अभिमानी व अहंकारी न हो। इसके साथ ही उदर संबंधित रोगों का सामना करना पड़ता है।
षष्ठ भाव
कुंडली में व्यक्ति के छठे भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो विरोधियों के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ता है लेकिन हर चुनौतियों को से निपटने की शक्ति रखता है और आत्मविश्वास से भरा रहता है। इस योग में माता पक्ष से लाभ मिलता है। मामा पक्ष से सहयोग कम मिलता है और व्यायाम के माध्यम से बहुत धन तथा ख्याति अर्जित करता है। पारिवारिक जीवन में कुछ परेशानियां आ सकती है। निवेश से लाभ होता है और पिता उच्च पद प्राप्त करते हैं और समाज में सम्माननीय होते हैं।
सप्तम भाव
कुंडली में व्यक्ति के सातवें भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो दांपत्य जीवन में परेशानियां आ सकती हैं, जिसकी वजह से वैवाहिक जीवन को नीरस हो जाता है। जीवनसाथी से सहयोग कम मिलता है। इस योग के व्यक्ति का संबंध समाजसेवी और स्वयंसेवी संस्थाओं से होता है। साथ ही यौन रोग को उत्पन्न करने वाला है। जातक को डॉक्टरी और रत्न व्यवसाय में अच्छी सफलता मिलती है। शुभ ग्रहों की दृष्टि इस योग में भारी परिवर्तन करते हैं, जहां हानि हो रही हो, वहां लाभ मिलता है।
अष्टम भाव
कुंडली में व्यक्ति के आठवें भाव में बुधादित्य योग बनता है तब जातक दुसरों के सहयोग के चक्कर में स्वयं उलझ जाता है। इस योग का व्यक्ति विदेश मुद्रा में व्यापार में करता है और अच्छा बिजनसमैन बनता है। साथ ही दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है और किडन, आमाशय में जलन और आंतों में विकार का भी योग बनता है। इस योग से जातक को वसीयत आदि के माध्यम से धन प्राप्त होता है और परा विज्ञान के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।
नवम भाव
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, कुंडली में व्यक्ति के नौवें भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो जातक को कई शुभ फल मिलते हैं। जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है लेकिन अगर आप अपने पिता पर निर्भर हैं तो भाग्य साथ नहीं देता। भाग्य का पूर्ण साथ देने के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी और आसानी से सभी कार्य बन जाएंगे। धर्म-कर्म के कार्यों में भी हिस्सा लेंगे। आलस्य के कारण इस योग का लाभ नहीं मिल पाता। यह योग व्यक्ति को अंहकारी भी बना देता है।
दशम भाव
कुंडली में व्यक्ति के दसवें भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो वह काफी धन कमाने में चतुर, साहसी और संगीत प्रेमी बनता है। नौकरी व व्यापार में अपार सफलता मिलती है। सरकारी पद पर आसानी व्यक्ति को सरकार में उच्च पद मिलता है। सामाजिक कार्य में हिस्सा लेने पर सम्मान दिलाता है और धीरे-धीरे व्यक्ति आसमान छू लेता है। संतान के मामले में यह चिंतित बनाता है। धार्मिक स्थान का निर्माण करवाने कारण ख्याति का विस्तार होता है। क्योंकि धर्म के प्रति अधिक झुकाव रहता है।
एकादश भाव
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, कुंडली में व्यक्ति के एकादश भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो सरकार और प्रतिष्ठानों से धन की प्राप्ति होती है और जातक धन-धान्य से संपन्न रहता है। कला के क्षेत्र में रुझान बढ़ता है और संगीत प्रेमी बनाता है। ऐसा व्यक्ति रूपवान होता है लोक सेवा के लिए कार्य करता रहता है। इस योग से व्यक्ति की आय के कई स्रोत्र होते हैं और राजनीति में भी भाग्य आजमाता है।
द्वादश भाव
कुंडली में व्यक्ति के द्वादश भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो धन के मामले में अच्छा नहीं कहा जा सकता। पारिवारिक विवाद का सामना करना पड़ता है। चाचा-ताऊ से मतभेद होते हैं और अपनी संपत्ति उनके चुंगल में फंस जाती है। कई बार आकस्मिक धन लाभ के व्यवसायों में फंसकर अपना सबकुछ लूटा देता है। जुआ-सट्टे में फंस कर धन की हानि होती है और धन इधर-उधर से आता है लेकिन खर्च अधिक होता है। इस योग के व्यक्ति को विदेशों में सफलता मिलती है और आध्यात्मिक विकास प्रदान करता है।
Parmod Kumar Ahuja (8512831063)
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