जमीयत उलमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरशद मदनी ने 66 मकानों की चाबियाँ विस्थापितों को सौंपी

मुजफ़्फरनगर। वर्ष 2013 के दंगा पीडि़तों में उस वक्त खुशी देखने को मिली, जब विस्थापितों को अध्यक्ष जमीयत उलमा-ए-हिन्द मौलना सय्यद अरशद मदनी ने मकानों की चाबियां उनके सुपुर्द की

REPORTER
Aug 26, 2021 - 12:02
Aug 26, 2021 - 16:57
 0  57
जमीयत उलमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरशद मदनी ने 66 मकानों की चाबियाँ विस्थापितों को सौंपी

Key Moments

मुजफ़्फरनगर। वर्ष 2013 के दंगा पीडि़तों में उस वक्त खुशी देखने को मिली, जब विस्थापितों को अध्यक्ष जमीयत उलमा-ए-हिन्द मौलना सय्यद अरशद मदनी ने मकानों की चाबियां उनके सुपुर्द की। बुधवार को जमीयत उलमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने गाँव बागोवाली में नवनिर्मित जमीयत कालोनी में 66 मकानों की चाबियाँ सन 2013 के विस्थापितों को सौंपी।

इस दौरान मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने कहा कि  हमारे पूर्वजो ने इस देश की खातिर बड़ी क़ुर्बानियां दी है, जिसको इतिहास कभी भुला नहीं सकता है, उन्होंने कहा कि आजादी के लिए उलमा-ए-इकराम ने 150 तक तो लगातार क़ुर्बानियां दी है, जिसकी मिसाल नही मिलती है तथा अंग्रेजो ने उलमा-ए-इकराम फांसी पर भी  चढ़ाये। मौलाना मदनी ने कहा कि  दारुल उलूम देवबंद की स्थापना भी अंग्रेजो के खि़लाफ़ स्वतंत्रता के सपूत पैदा करने के लिये की गयी थी। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि  जमीयत उलमा-ए-हिन्द का धर्मनिरपेक्ष संविधान को बनवाने में विशेष योगदान रहा है। मौलाना मदनी ने कहा कि हम तो डटकर साम्प्रदायिकता का विरोध करते है और साम्प्रदायिकता को देश के लिए नुकसानदेह समझते है।

उन्होंने कहा कि आज भी हमारे देश में नफरत की आवाज मुँह उठा रही है, जो कि देश की खुशहाली व उन्नति के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि  पूरे देश में दंगो की एक लिस्ट बड़ी है, जिसमे हजारो बेगुनाहों की जाने चली गयी है। मौलाना मदनी ने अब तक पचासों हज़ार से अधिक सांप्रदायिक दंगे देश में हो चुके हैं, असम के नीली से लेकर मुंबई के 1993 और गुजरात के 2002 के भयानक दंगों तक अत्याचार की न जाने कितनी कहानियां बिखरी पड़ी हैं, इन दंगों में मुसलमानों के जो जान-माल का नुकसान हुआ उसका अनुमान लगाया जाना भी संभव नहीं है, दुखद पहलू यह है कि दंगे की किसी एक घटना में भी क़ानून और न्याय की आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया गया और किसी दोषी को सज़ा नहीं दी गई। यही कारण है कि समय बीतने के साथ साथ सांप्रदायिक शक्तियों का मनोबल भी बढ़ता गया।

मुजफ़्फरनगर के हवाले से मौलाना मदनी ने कहा कि  यहाँ कभी कोई दंगा नही हुआ, लेकिन सन 2013 के दंगे से यहाँ भी हजारों लोग बेघर हो गये, जिन्होंने अपने घरो को खौफ से छोड़ दिया था, जमीयत उलमा  ए हिन्द ने मुजफ़्फरनगर दंगा पीडितो को जिले भर में  बसाने के लिए उनको 466 मकानात दिए। उन्होंने कहा कि जमीयत तो बगैर भेदभाव से लोगो की मदद करती रही है। मौलाना मदनी ने कहा कि महाराष्ट्र में बाढ़ प्रभवित क्षेत्रों में जमीयत उलमा-ए-हिन्द के प्रतिनिधि और कार्यकर्ता सहायता और राहत पहुंचाने के काम में व्यस्त हैं। कोंकण के कुछ क्षेत्रों में हज़ारों की संख्या में लोग बेघर हुए हैं, हमने उनके पुनर्वास की भी रूपरेखा तैयार कर ली है और इसके लिए दो करोड़ रुपये का फण्ड भी निर्धारित किया जा चुका है। उन्होंने अंत में कहा कि देश में प्राकृतिक आपदाओं की रूप में जब भी कोई मुसीबत आती है। जमीअत उलमा-ए-हिन्द देश की जनता के साथ खड़ी नजऱ आती है। वैसे तो यह एक धार्मिक संगठन है, लेकिन सहायता और राहत पहुंचाने का हर काम वह धर्म से ऊपर उठकर मानवता के आधार पर करती है। एकता एवं सहिष्णुता इसका मिशन है और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा इसका हमेशा से पहला उद्देश्य रहा है। प्रोग्राम का संचालन मौलाना मुस्तुफा कासमी ने किया। इस मौके पर मौलाना हामिद हसन, मौलाना नजऱ मुहम्मद, मौलाना कासिम, मौलाना मुकर्रम अली कासमी, हाफिज शेरदीन, मौ. आसिफ़ कुरैशी बुढ़ाना के अलावा समस्त मकानों की चाबी पाने वाले विस्थापित मौजूद रहे।

अस्वीकरण

This post has been self-published. Vews.in neither endorses, nor is responsible for the views expressed by the author.. Profile .

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Kawal Hasan Kawal Hasan is a well-known journalist in the world of journalism, who spends his valuable time writing for our platform. Join Vews.in to deliver your message to the Indian expatriates in the world