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कुंडली का आठवां घर बताता है कि व्यक्ति की मृत्यु कैसे और कहां होगी

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PRIME
Apr 16, 2023 - 13:46
Apr 16, 2023 - 13:55
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कुंडली का आठवां घर बताता है कि व्यक्ति की मृत्यु कैसे और कहां होगी

Key Moments

धरातल के दो सबसे बड़े सच हैं। पहला जीवन दूसरा मृत्यु। गीता के अनुसार जिस प्राणी ने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। यह एक अटल सत्य है। किसी व्यक्ति की मृत्यु कब, कहां और कैसे होगी यह उसके जन्म के साथ ही लिखा जा चुका होता है। मनुष्य सबसे ज्यादा अपनी मृत्यु को लेकर भय में रहता है। उसे अपने जीवन से ज्यादा मृत्यु की चिंता होती है। पूरे जीवन उसे यही डर सताता रहता है कि मेरी मृत्यु कहां, कैसे और किस परिस्थिति में होगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मनुष्य की जन्मकुंडली के अष्टम भाव को आयु या मृत्यु का भाव कहा जाता है। इस भाव में स्थित राशि, ग्रह, ग्रहों की दृष्टि और दृष्टि संबंध के आधार पर आसानी से ज्ञात किया जा सकता है कि व्यक्ति मृत्यु कब और कहां होगी। आइये जानते हैं किसी अमूक व्यक्ति की मृत्यु कैस और कहां होगी।

जानिए आठवें घर में ग्रहों की स्थिति से मृत्यु के योग

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली के अष्टम भाव यानी आठवें घर में सूर्य देव विराजमान होते हैं तो ऐसे जातक की मृत्यु अग्नि से होती है। यह अग्नि किसी भी प्रकार की हो सकती है। जैसे पेट्रोल से आग लगना, गैस या कैरोसीन से आग लगना या फिर इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं से घर, वाहन किसी में आग लग जाना है। यदि आठवें घर में चंद्र देव विराजमान होते हैं तो जातक की मृत्यु का कारण समुद्र, नदी, झील, तालाब, कुआं हो सकता है। दरअसल अष्टम भाव में चंद्र का प्रभाव होने से जातक की मृत्यु का कारण जल होता है। अष्टम भाव में मंगल हो तो अस्त्र-शस्त्र, चाकू, छुरी से कटने से मृत्यु होती है। किसी आकस्मिक दुर्घटना में शरीर में अनेक कट लगने से मृत्यु हो सकती है। यदि जातक की कुंडली के अष्टम भाव में ग्रहों के राजकुमार बुध देव हो तो जातक की मृत्यु किसी प्रकार के ज्वर, बुखार, संक्रमण, वायरस, बैक्टीरिया आदि से हो सकती है।

वहीं, अष्टम भाव में बृहस्पति होने पर जातक की मृत्यु अजीर्ण, अपच, लीवर व पेट के रोगों से होती है। जैसे फूड पॉइजनिंग, खानपान में लापरवाही से होने वाले रोगों से मृत्यु होती है। अष्टम भाव में शुक्र हो तो जातक की मृत्यु भूख से होती है। अर्थात् किसी रोग के कारण जातक कुछ खा न पाए या समय पर कुछ खाने को न मिले तो मृत्यु हो सकती है। यदि किसी जातक की जन्मकुंडली के आठवें घर में शनि देव विराजित हो तो जातक की मृत्यु प्यास या पानी की कमी से होती है। दरअसल शनि के प्रभाव से जातक की मृत्यु किडनी रोग या जल की कमी से होने वाले रोगों से होती है। यदि राहु केतु समेत अनेक ग्रह अष्टम में हो तो जो ग्रह सबसे ज्यादा बली होता है, उसी के अनुसार मृत्यु समझना चाहिए। बता दें कि किसी व्यक्ति की मृत्यु कहां होगी यह भी अष्टम भाव को देखकर पता किया जा सकता है। जातक की जन्मकुंडली के अष्टम भाव में चर राशियां मेष, कर्क, तुला, मकर हो तो जातक की मृत्यु घर से दूर या दूसरे शहर या विदेश में होती है। अष्टम भाव में स्थिर राशियां वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ हो तो जातक की मृत्यु अपने ही घर में होती है। अष्टम भाव में द्विस्वभाव राशियां मिथुन, कन्या, धनु, मीन हो तो जातक की मृत्यु घर से बाहर मार्ग में होती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें।

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Parmod Kumar Ahuja Parmod Kumar Ahuja is a well-known person who is openly writing on topics like It, astrology and politics .