सऊदी अरब में मूर्ति-पूजा करने पर भारतीय गिरफ्तार? वायरल वीडियो से मचा हड़कंप!

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिस में दावा किया जा रहा है एक भारतीय व्यक्ति मूर्ति पूजा करने पर गिरफ्तार हुआ है, सऊदी अरब में रहने वाले एक उत्तर प्रदेश के यूट्यूबर ने सोशल मीडिया इंस्टाग्राम पर एक वीडियो साझा करते हुई कहा कि एक भारतीय हिंदू व्यक्ति जो रूम में मूर्ति पूजा करता था उसको डिपोर्ट या गिरफ्तार आकर लिया गया है।

सऊदी अरब में मूर्ति-पूजा करने पर भारतीय गिरफ्तार? वायरल वीडियो से मचा हड़कंप!
सऊदी अरब में मूर्ति-पूजा करने पर भारतीय गिरफ्तार

Vews Fack Check

campaign दावा

"सऊदी अरब में मूर्ति पूजा करने पर इक भारतीय गिरफ्तार।"

झूठ भ्रमक आधा सच सच

दावा: आधा सच

इस सच्चाई को जानने के लिए हमने कई सारे सोशल मीडिया और सऊदी अरब में रजिस्टर्ड केस की जानकारी देने वाली वेबसाइट्स और तमाम मीडिया रिपोर्ट को खंगाला लेकिन ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है लेकिन वायरल वीडियो सच है।

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेज़ी से साझा किया जा रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि सऊदी अरब में रहने वाले एक भारतीय को कमरे में मूर्ति-पूजा करने के चलते गिरफ्तार कर के भारत वापस भेज दिया गया। हमने इस दावे की पड़ताल की और पृष्ठभूमि के रूप में सऊदी अरब की धार्मिक नीतियों और पूर्व मामलों की समीक्षा की।

वायरल क्या दावा कर रहा है?

वायरल क्लिप में, जिसे एक उत्तर-प्रदेश के यूट्यूबर ने इंस्टाग्राम पर साझा किया है, कहा जा रहा है कि एक भारतीय — जो एक रूम-शेयर में रहता था — अपने कमरे में मूर्ति-पूजा करता था और हाल में उसने सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो पोस्ट किए जिनमें वह भारत में चल रहे "I Love Muhammad ﷺ" ट्रेंड पर प्रतिक्रिया देते हुए विवादास्पद बयान देता दिखता है। बताया जा रहा है कि किसी रूम-मेट या फोरमैन की शिकायत के बाद उसे स्थानीय विभागीय (police/immigration) अधिकारियों को सौंप दिया गया और उसे डिपोर्ट कर दिया गया।

हमने क्या जाँचा और क्या पाया

हमने वायरल क्लिप और दावे की स्वतंत्र पुष्टि के लिए सऊदी मीडिया, अंतरराष्ट्रीय खबर एजेंसियाँ, मामले-रजिस्टर (case-listing) और त्वरित फैक्ट-चेक रिपोर्टों का व्यापक सर्वे किया। सार्वजनिक और आधिकारिक मीडिया रिपोर्टों तथा उपलब्ध केस-रजिस्टरों में इस विशेष घटना — यानी हाल के दिनों में किसी भारतीय के मूर्ति-पूजा के कारण गिरफ्तार होकर डिपोर्ट किए जाने — का कोई स्वतंत्र या आधिकारिक सबूत नहीं मिला। फैक्ट-चेकर्स ने भी ऐसे पुराने दावों के एकबारगी पुनरुत्थान और चक्रव्यूह की सूचना दी है जिनमें पुरानी खबरें या संदिग्ध सोशल-पोस्ट नई-सी लगती हैं।

कानूनी और नीति-पृष्ठभूमि — सऊदी अरब में धार्मिक अभिव्यक्ति

सऊदी अरब की आधिकारिक नीति यह है कि सार्वजनिक रूप से किसी भी गैर-इस्लामी धर्म का पालन व उपासना अनुमति प्राप्त नहीं है; गैर-मुस्लिम पूजा-स्थल सार्वजनिक रूप से स्वीकार्य नहीं हैं और सार्वजनिक धार्मिक प्रदर्शन पर सख्त प्रतिबंध लागू होते हैं। यह परिस्थितिगत रूप से प्रवासी समुदायों के निजी-आयनों में होने वाली पूजा तक सीमित रहती है, पर निजी और सार्वजनिक के बीच की रेखा अस्पष्ट होने के कारण प्रवर्तन के मामले मनमाने ढंग से भी हो सकते हैं। USCIRF (U.S. Commission on International Religious Freedom) ने भी सऊदी अरब की धार्मिक-स्वतंत्रता स्थितियों पर चिंताएँ जताते हुए दायर रिपोर्टों में देश को पुनः 'Country of Particular Concern' के रूप में सूचीबद्ध करने की सिफारिशें की हैं।

पत्रकार बनने का अवसर

फ्री प्रेस कार्ड का मौका: अब आप भी बन सकते हैं पत्रकार सिर्फ Vews.in पर बिल्कुल फ्री में प्रेस कार्ड बनवाइए।

अप्लाई करें

इतिहास: सोशल-मीडिया पोस्ट और धार्मिक आरोपों से जुड़े पिछले मामले

पिछले वर्षों में सऊदी अरब में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ प्रवासी कामगारों को सोशल-मीडिया पर किए गए पोस्ट या साझा की गई छवियों को धार्मिक भावनाएँ आहत करने वाला माना गया — और उनपर गिरफ्तारी/पाबंदी लग चुकी है। उदाहरण के लिए, अलग-अलग वर्षों में फेसबुक या अन्य प्लेटफ़ॉर्म पर साझा की गई आपत्तिजनक छवियों के कारण कुछ भारतीय नागरिकों को हिरासत में लेने और बाद में रिहा या प्रत्यर्पित किए जाने की खबरें दर्ज हैं। ऐसे मामलों का इतिहास बताता है कि सोशल-मीडिया पर धार्मिक रूप से संवेदनशील सामग्री पोस्ट करना सऊदी अरब में गंभीर परिणाम दे सकता है।

वायरल वीडियो का साथ-साथ सत्यापन — क्या कहना सुरक्षित है?

हमारी जाँच में यह स्पष्ट हुआ कि वर्तमान वायरल क्लिप — भले ही वास्तविक वीडियो हो — अपने दावे (즉, हाल ही में गिरफ्तारी या अनिवार्य डिपोर्टेशन का प्रमाण) को स्वतंत्र, आधिकारिक स्रोतों से पुष्ट नहीं कर पाता। कई बार सोशल-पोस्ट संदर्भों और पुरानी घटनाओं को मिला-जुला कर नये दावे बना देते हैं; इसलिए केवल सोशल पोस्ट के आधार पर नतीजे निकालना जोखिमभरा है। फैक्ट-चेक रिपोर्टें भी इसी तरह के पुरानी/त्रुटिपूर्ण दावों के पुनरुत्थान पर चेतावनी देती हैं।

संक्षेप में: इस समय उपलब्ध सार्वजनिक और मीडिया स्रोतों के आधार पर यह पुष्टि नहीं की जा सकती कि वायरल वीडियो में दिखाया गया व्यक्ति मूर्ति-पूजा के कारण सऊदी अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार या डिपोर्ट किया गया था। परन्तु सऊदी कानून और अतीत के प्रेसीडेंट (social-media/blasphemy मामलों में कार्रवाई) को देखते हुए ऐसे दावों को गंभीरता से लेना चाहिए और आधिकारिक पुष्टि/कन्सुलर नोटिस के बिना निष्कर्ष पर पहुँचने से बचना चाहिए।

क्या आगे किया जाना चाहिए — पाठकों के लिए सुझाव

  • किसी भी वायरल क्लिप को साझा करने से पहले स्रोत/तारीख़ और आधिकारिक रिपोर्ट देखें।
  • यदि किसी परिचित का नाम निर्देशित है, तो उन्हें भारतीय दूतावास/कंसुलर सेवा से संपर्क करने का सुझाव दें — आधिकारिक निकायों के माध्यम से स्थिति की पुष्टि अधिक विश्वसनीय होती है।
  • धार्मिक-सेंसिटिव सामग्री को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते समय सावधानी बरतें; सऊदी अरब जैसे न्यायक्षेत्रों में सोशल-पोस्ट के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
नोट: यह रिपोर्ट इंटरनेट पर उपलब्ध आधिकारिक और मीडिया स्रोतों, तथा फैक्ट-चेक रिपोर्टों के आधार पर तैयार की गई है। यदि पाठक के पास इस घटना से जुड़ा कोई आधिकारिक दस्तावेज़ या साक्ष्य है, तो कृपया उसे साझा करें ताकि हम आगे सत्यापन कर सकें।
प्रमुख संदर्भ: फैक्ट-चेक रिपोर्टें और मीडिया आर्काइव; पिछले सोशल-मीडिया ब्लैस्प्हेमी मामलों पर खबरें; USCIRF की 2024-2025 रिपोर्टें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 6

नहीं। सऊदी अरब एक इस्लामी देश है जहां सार्वजनिक रूप से किसी भी गैर-इस्लामी धर्म का पालन या पूजा करना कानूनन प्रतिबंधित है। केवल निजी तौर पर अपने घर या कमरे में पूजा की जा सकती है, लेकिन यह भी जोखिमभरा माना जाता है।

इस तरह की कोई आधिकारिक या अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली है। वायरल वीडियो में दावा किया गया है, लेकिन अब तक किसी सरकारी स्रोत या स्थानीय अख़बार ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

सीमित रूप में हाँ। निजी स्थानों जैसे एक्सपैट कम्पाउंड या घरों में पूजा की जाती है, लेकिन पब्लिक में या सोशल मीडिया पर दिखाना कानूनन अपराध माना जाता है।

हाल के वर्षों में धार्मिक पुलिस की शक्तियाँ कम की गई हैं, लेकिन धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदियाँ अब भी बनी हुई हैं। USCIRF (U.S. Commission on International Religious Freedom) 2024 की रिपोर्ट में भी सऊदी अरब को “Country of Particular Concern” की श्रेणी में रखा गया है।

वीडियो में व्यक्ति की पहचान या नाम की पुष्टि नहीं हो सकी है। कहा जा रहा है कि वह भारत से आया प्रवासी मजदूर है, लेकिन यह जानकारी स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं है।

अब तक किसी भी आधिकारिक प्रवक्ता, दूतावास या मंत्रालय की ओर से इस दावे पर कोई बयान जारी नहीं किया गया है।
Profile
Verified Furkan S Khan

Furkan S Khan Verified Media or Organization • 05 Aug, 2014

About Me

2013 से खाड़ी देशों में बसे भारतीयों की ज़िंदगी से पर्दा उठा रहे हैं। प्रवासियों की आवाज़ बेखौफ़ उठाते हैं। हमारे साथ जुड़ें, सच्ची ख़बरों के लिए।