"नवीन पीढी" गहरी नींद आ गई थी।बेटे की आवाज आई,  पापा

गहरी नींद आ गई थी।बेटे की आवाज आई,  पापा ! कैसे हो आप आप? हाल चाल लेता रहा और बार बार मोबाइल पर भी ध्यान दे रहा था ।आकाश बहुत खुश था क्योंकि पापा पहली बार बैंगलोर आए थे।

REPORTER
Aug 26, 2021 - 12:32
Aug 26, 2021 - 17:06
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"नवीन पीढी" गहरी नींद आ गई थी।बेटे की आवाज आई,  पापा
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Key Moments

मैं बैंगलोर गया बेटे पास ! हवाई जहाज से उतरते ही मैंने बेटा को फोन किया कि आ गया हूं, कहां हो?  पापा, मैं ऑफिस में हूं , आपके कैब बुक किया है , एयरपोर्ट के बाहर होगा ।जाकर बैठ जाईये ,घर का पता कैब वाले को दिया हुआ है वो घर तक आपको पहुंचा देगा।

मैं टैक्सी में बैठ गया और बेटे के घर पहुंचा और घर का ताला खोल दाखिल हुआ।  ड्राइंगरूम में सोफे पे पसर गया , थोङी देर में कालबेल बजी। दरवाजे पे डिलीवरी बाॅय खङा था कुछ खाने के पैकेट लिए। 

पैकेट लिया ही था कि बेटे आकाश का फोन आया__ पापा आपका लंच भिजवाया है ,खा लीजिए और आराम करिए,  शाम को मिलता हूं आपसे! खाना खाकर सो गया मैं, बहुत थक चूका था व सुबह चार बजे ही पटना से बैंगलोर की फ्लाइट पकङने के लिए रात दो बजे से ही जगा था।

गहरी नींद आ गई थी।बेटे की आवाज आई,  पापा ! कैसे हो आप आप? हाल चाल लेता रहा और बार बार मोबाइल पर भी ध्यान दे रहा था ।आकाश बहुत खुश था क्योंकि पापा पहली बार बैंगलोर आए थे।

दूसरे दिन सुबह उठा तो चाय की तलब हुई,  आदत थी मुझे सुबह सुबह उठकर चाय पीने की!।। पूछा कि किचन में दूध- चायपती है , चाय बना लेता हूं।हंसकर आकाश बोला; पापा  मैं चाय कहां पीता हूं? सोफा पे लेटे हुए मोबाइल पर उसकी उँगली तेजी से घूम रही थी। मैं चुपचाप बैठ गया , क्या करू! यहां का कुछ आइडिया भी नहीं कि बाहर जाकर चाय पी ले।

खैर!अभी इसी उधेङबुन में था कि दरवाजे की घंटी बजी ।बेटा बोला , देखो न पापा कौन है? बिचारा बेटा नींद में था और मेरे चलते जल्दी उठ गया था।दरवाजे पर गर्मा-गर्म चाय के साथ इडली सांभर बङा का पैकेट लेकर डिलीवरी बाॅय खङा था ।

फिर  हमदोनों ने नाश्ता किया ।बेटा बोला , कुछ भी जरूरत है, आप मोबाइल से ऑडर कर मंगा सकते हैं ।आपको चाय पीने की आदत है , मै जानता था , इसलिए मंगा दिया। अपने बेटे की नवीनतम तकनीकी सुविधाजनक मोबाइल फोन ने मुझे अपनी पीढी की याद दिलाई,  कि जब पापा ऑफिस से आते तो दौङकर हम सब भाई बहन खातिर दारी में लग जाते थे ।कोई दौङकर पानी लाता,कोई नाश्ता देता, कोई जूठा बर्तन उठाता। 

हमारे बीते हुए दौर में व आज की पीढी में कितना बदलाव आया है ।हमारे पिता के लिए मन में आदर तो था परंतु एक डर भी रहता था कि वो नाराज न हो जाए? आज की पीढी प्रैक्टिकल है व तकनीकी दुनिया में सांस ले रही है । याद आया कि मेरा टिकट भी मोबाइल से ही बुक किया था बेटे ने! अपने बेटे का मेरा ख्याल रखना बहुत  स्वाभाविक लगा।
ऐसा नहीं कि हमारे बच्चे हमारा आदर नहीं करते! बहुत प्यार करते हैं हमें ! बस तरीका बदल गया है।

कैसे भी हैं , हैं तो हमारे ही बच्चे।
बहुतों से अच्छे हैं।

अस्वीकरण

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Kawal Hasan Kawal Hasan is a well-known journalist in the world of journalism, who spends his valuable time writing for our platform. Join Vews.in to deliver your message to the Indian expatriates in the world