अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की भारत यात्रा: रिश्तों का नया दौर और 2021 की पुरानी यादें
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी भारत दौरे पर हैं। यह दौरा भारत-अफगानिस्तान रिश्तों के नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है, लेकिन 2021 की घटनाएँ एक अलग ही तस्वीर दिखाती हैं। जानिए पूरी रिपोर्ट।
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी इन दिनों भारत दौरे पर हैं। दिल्ली में उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया है — मीडिया कवरेज से लेकर सरकारी बैठकों तक, इस दौरे को “रिश्तों की बहाली” और “राजनयिक संवाद के नए अध्याय” के रूप में पेश किया जा रहा है। मगर इस कूटनीतिक गर्मजोशी के बीच 2021 की कुछ घटनाएँ आज भी सवाल खड़े करती हैं।
2021: जब अफगानिस्तान की जीत पर भारत में गिरफ्तारी हुई
अगस्त 2021 में जब अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस बुला ली और तालिबान ने देश का नियंत्रण संभाला, तब पूरी दुनिया में राजनीतिक हलचल मच गई थी। भारत में इस घटनाक्रम को लेकर सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई थी। लेकिन इन्हीं प्रतिक्रियाओं के चलते भारत के कई हिस्सों में मुस्लिम युवाओं और नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
असम में गिरफ्तारी की लहर
असम में लगभग 14–15 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। कारण था — उनके सोशल मीडिया पोस्ट जिन्हें स्थानीय प्रशासन ने “तालिबान समर्थक” बताया। इन पर UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) और IT Act की धाराएँ लगाई गई थीं।
गिरफ्तार लोगों में शिक्षक, छात्र और यहां तक कि एक पुलिसकर्मी भी शामिल थे। कई मामलों में बिना किसी हिंसक गतिविधि के सिर्फ ऑनलाइन पोस्ट या व्यंग्यात्मक टिप्पणी को आधार बना लिया गया था।
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अप्लाई करेंउत्तर प्रदेश, केरल और कश्मीर में भी कार्रवाई
उत्तर प्रदेश, केरल और जम्मू-कश्मीर में भी कुछ लोगों को या तो पूछताछ के लिए बुलाया गया या हिरासत में लिया गया। स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, कई युवाओं को “संदेह” के आधार पर लंबे समय तक पुलिस जांच का सामना करना पड़ा।
अब वही अफगानिस्तान, वही सरकार, पर बदला नजरिया
चार साल बाद, अब जब तालिबान सरकार का प्रतिनिधि भारत की राजधानी में मेहमान बना हुआ है, तो भारतीय मीडिया और सरकार दोनों ही इस यात्रा को “सकारात्मक कदम” बता रहे हैं। विदेशी नीति के लिहाज से यह दौरा निश्चित रूप से अहम है — लेकिन 2021 के दौर में जब भारतीय मुसलमानों को तालिबान समर्थक कहकर जेल भेजा गया था, तो आज वही सरकार और वही मीडिया अफगान प्रतिनिधियों का महिमामंडन क्यों कर रही है — यह सवाल अब भी बाकी है।
देवबंद का दौरा: प्रतीक और संदेश
अपने भारत प्रवास के दौरान अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी देवबंद भी जाने वाले हैं, जो भारत में इस्लामी शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है। देवबंद का नाम अफगानिस्तान के इतिहास से भी गहराई से जुड़ा रहा है — कई अफगान धार्मिक और राजनीतिक आंदोलन इसी विचारधारा से प्रभावित रहे हैं।
मुत्तकी की देवबंद यात्रा को कई विशेषज्ञ सांकेतिक और कूटनीतिक कदम मान रहे हैं। यह भारत के मुसलमानों के बीच एक तरह का “सांस्कृतिक संपर्क” दिखाने का प्रयास भी हो सकता है। वहीं कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह यात्रा भारत और तालिबान सरकार के बीच संवाद के धार्मिक-सांस्कृतिक पहलुओं को भी संतुलित करने की कोशिश है।
10 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी को प्रतीकात्मक रूप से पाँच एम्बुलेंस सौंपे। यह हस्तांतरण उस बड़े पैकेज का हिस्सा है जिसमें कुल 20 एम्बुलेंस और अन्य मेडिकल सामग्री अफगान जनता के लिए भेजे जाने का उल्लेख किया गया है।
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह कदम अफगान नागरिकों के स्वास्थ्य समर्थन और मानवीय मदद के रूप में लिया गया है, और यह भारत-अफगान रिश्तों में सहयोग के मानवीय आयाम को दर्शाता है।
(नोट: यह सौंपना दिल्ली में दोनों मंत्रियों की द्विपक्षीय वार्ता के दौरान हुआ — इसे भारत की मानवीय व राजनयिक पहल के रूप में पेश किया जा रहा है।)
भारत की मानवीय पहल: एम्बुलेंस उपहार
भारत-अफगान रिश्तों का नया संतुलन
विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत की मौजूदा नीति “व्यावहारिक कूटनीति” की दिशा में बढ़ रही है। भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार, सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के मुद्दे पर संवाद फिर से शुरू हो रहे हैं। कई विश्लेषक मानते हैं कि अफगानिस्तान के साथ सीमित संपर्क बनाए रखना भारत के रणनीतिक हित में है, क्योंकि पाकिस्तान और चीन वहां अपनी मौजूदगी मजबूत कर चुके हैं।
हालांकि, आलोचकों का कहना है कि अगर भारत “तालिबान सरकार” के साथ संवाद करता है, तो उसे अपने भीतर भी यह देखना होगा कि 2021 में देश के नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार किया गया था। न्याय और समानता के बिना कोई भी विदेश नीति पूरी तरह संतुलित नहीं हो सकती।
अमीर खान मुत्तकी की यह यात्रा भारत-अफगान रिश्तों के लिए नई शुरुआत है, लेकिन यह अतीत की घटनाओं को मिटा नहीं सकती। 2021 के वे दिन आज भी याद दिलाते हैं कि राजनीतिक घटनाएँ सिर्फ सीमाओं के पार नहीं, बल्कि समाजों के भीतर भी असर छोड़ती हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 5
Furkan S Khan Verified Media or Organization • 05 Aug, 2014
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