सऊदी अरब में विकाश यादव की मुश्किलें बढ़ीं | भड़काऊ वीडियो से कानूनी कार्रवाई तय

सऊदी अरब में भारतीय मजदूर विकाश यादव का विवादित वीडियो वायरल होने के बाद उसके खिलाफ ईशनिंदा और भड़काऊ बयानबाजी की शिकायत की गई है।

सऊदी अरब में विकाश यादव की मुश्किलें बढ़ीं | भड़काऊ वीडियो से कानूनी कार्रवाई तय
विकाश यादव

रियाद: सऊदी अरब में भारतीय मजदूर विकाश यादव (Bikash Yadav) की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। बीते दिनों सोशल मीडिया पर उसका एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें उसने इस्लाम और सऊदी अरब के प्रतीकों को लेकर विवादित बातें कही थीं। इस वीडियो के बाद न सिर्फ भारतीय बल्कि पाकिस्तानी यूजर्स ने भी कार्रवाई की मांग शुरू कर दी है।

वायरल वीडियो बना विवाद की जड़

विकाश यादव ने अपने फेसबुक अकाउंट पर कई Reels पोस्ट की थीं जिनमें उसने कहा:

“मल्ला देख ले मेरे पीछे सऊदी अरब का झंडा है जिधर से तुम्हारा इस्लाम शुरू हुआ है, यहां पर मजार नहीं है, यहां पर ताजिया नहीं मनाया जाता है... और तुम लोग इंडिया में रहकर मजार के नाम पर जमीन कब्जा करते हो, हिन्दू त्योहारों में पत्थर मारते हो...”

इस वीडियो में बिकाश यादव ने न केवल धार्मिक टिप्पणियाँ कीं बल्कि राजनीतिक नेताओं और धार्मिक भावनाओं पर भी तंज कसा। वीडियो के अंत में उसने “I Love Yogi, I Love Modi, I Love Bulldozer” कहकर अपनी बात को खत्म किया।

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10 अक्टूबर को गिरफ्तारी की अफवाह

10 अक्टूबर को सोशल मीडिया पर यह खबर फैल गई थी कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन बाद में यह खबर झूठी निकली। अब 11 अक्टूबर को रियाद के एक नागरिक ने विकाश यादव के वीडियो को Ameer of Riyadh को भेजते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है।

एक फेसबुक यूजर ने Furkan S Khan को बताया कि बिकाश यादव की एक और वीडियो वायरल हुई थी जिसमें उसने कहा:

“मैं सऊदी अरब में मूर्ति पूजा करता हूं, वहीं जहां से इस्लाम आया है।”

बताया जा रहा है कि इसी वीडियो के बाद वह लगातार भड़काऊ सामग्री पोस्ट करने लगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, उसने पैगंबर मुहम्मद ﷺ को लेकर भी अनुचित टिप्पणी की थी, जिसके बाद कई यूजर्स ने इसकी शिकायत सऊदी अधिकारियों तक पहुंचाई।

फेसबुक यूजर ने शिकायत में क्या लिखा?

"यह व्यक्ति अपने वीडियो में राजनीतिक रूप से भड़काऊ सामग्री साझा करता है और सऊदी अरब के बारे में अपमानजनक बातें करता है। यह नफ़रत फैलाता है और किंगडम के मूल्यों का अनादर करता है। कृपया इस मामले की समीक्षा की जाए और इस्लाम के प्रति अपमानजनक व्यवहार पर उचित कानूनी कार्रवाई की जाए।"

कानूनी रूप से मामला कितना गंभीर है?

सऊदी अरब में Blasphemy और Hate Speech के कानून बेहद सख्त हैं। यहां किसी भी धर्म, पैगंबर या सऊदी सरकार के प्रतीकों के खिलाफ टिप्पणी करना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों में विदेशी नागरिकों पर निम्न दंड लगाए जा सकते हैं:

  • लंबी अवधि की जेल या उम्रकैद
  • भारी जुर्माना
  • देश से डिपोर्टेशन (Deportation)

कई मामलों में, भड़काऊ या धार्मिक रूप से अपमानजनक कंटेंट के लिए अदालत सीधे उम्रकैद की सजा भी सुना सकती है।

सऊदी अरब के कानून के तहत विदेशी नागरिकों की ज़िम्मेदारी

सऊदी कानून के मुताबिक, कोई भी विदेशी नागरिक चाहे वो किसी भी धर्म या जाति का हो, उसे सरिया कानून (Sharia Law) और देश के सामाजिक नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

Article 6 of the Anti-Cyber Crime Law (Saudi Arabia) के तहत, ऑनलाइन माध्यम से किसी भी व्यक्ति, धर्म या सरकार के खिलाफ अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने पर अधिकतम 5 साल की जेल और 30 लाख रियाल तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की भूमिका

फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अब ऐसे कंटेंट की निगरानी बढ़ा दी गई है। बिकाश यादव के खिलाफ फेसबुक पर कई लोगों ने “Report for Hate Speech” विकल्प का इस्तेमाल किया है।

अब ये वीडियो कई पाकिस्तानी और अरब यूजर्स द्वारा भी शेयर किया जा रहा है जिससे उसकी परेशानी और बढ़ सकती है।

Furkan S Khan की कोशिश

Furkan S Khan ने बताया कि उन्होंने विकाश यादव से फेसबुक पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने यह भी कहा कि “वायरल वीडियो के बाद अब मामला स्थानीय अधिकारियों के पास जा चुका है और सऊदी क़ानून के तहत जांच लगभग तय है।”

क्या Bikash Yadav पर कार्रवाई तय है?

कानूनी जानकारों का कहना है कि अगर वीडियो में कही बातें प्रमाणिक पाई जाती हैं तो सऊदी अदालत में उस पर ईशनिंदा और नफरत फैलाने की धाराएं लग सकती हैं। ऐसी स्थिति में उसकी नौकरी, वीज़ा और निवास अधिकार भी समाप्त हो सकते हैं।

सऊदी अरब में इस तरह के मामलों का इतिहास

पहले भी सऊदी अरब में कई विदेशी नागरिकों पर धार्मिक टिप्पणी करने या सोशल मीडिया पर अपमानजनक पोस्ट डालने के मामले में कार्रवाई हो चुकी है। कुछ मामलों में तुरंत गिरफ्तारी और डिपोर्टेशन का आदेश भी दिया गया था।

विकाश यादव का मामला इस बात की बड़ी मिसाल है कि सऊदी अरब में रह रहे किसी भी विदेशी नागरिक को सोशल मीडिया पर टिप्पणी करते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। यहां का कानून धार्मिक और राजनीतिक मामलों में शून्य सहनशीलता रखता है।

ऐसे में वायरल वीडियो के चक्कर में बनाई गई कुछ सेकंड की क्लिप किसी की पूरी जिंदगी बदल सकती है। अब देखना होगा कि सऊदी अधिकारी इस मामले में आगे क्या कदम उठाते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 7

विकाश यादव एक भारतीय मजदूर हैं जो सऊदी अरब में काम कर रहे हैं। उन्होंने फेसबुक पर भड़काऊ और धार्मिक रूप से अपमानजनक वीडियो पोस्ट किए, जो तेजी से वायरल हुए।

सऊदी अरब में धार्मिक अपमान (ईशनिंदा), भड़काऊ सामग्री और सरकारी प्रतीकों का अपमान गंभीर अपराध माना जाता है। ऐसे मामलों में जेल, जुर्माना या डिपोर्टेशन तक हो सकता है।

गिरफ्तारी का निर्णय सऊदी अधिकारियों पर निर्भर है। वीडियो वायरल होने के बाद शिकायतें अमीर और स्थानीय पुलिस को भेजी गई हैं, जांच प्रक्रिया जारी है।

सभी विदेशी नागरिकों को सऊदी अरब के सरिया कानून और सामाजिक नियमों का पालन करना अनिवार्य है। धार्मिक या राजनीतिक भड़काऊ टिप्पणियों पर सख्त कार्रवाई होती है।

रिपोर्ट करने के कानूनी माध्यम: Report Site: https://my.gov.sa/en/contact Email: contact@dga.gov.sa

सऊदी अरब के कानून के तहत ईशनिंदा और नफरत फैलाने वाली सामग्री पर जेल, जुर्माना या उम्रकैद हो सकती है। गंभीर मामलों में डिपोर्टेशन भी संभव है।

हां। फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म पर 'Report for Hate Speech' करने से मामला सीधे अधिकारियों तक पहुंच सकता है। यह कानूनी कार्रवाई को तेज कर सकता है।
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