UP चुनाव की तमाम अटकलबाजियों के बीच एक साथ दिखे ओवैसी, राजभर और चंद्रशेखर, क्या हैं इसके सियासी मायने

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इस गठबंधन के सहारे दलित और पिछड़े वोट बैंक के साथ मुस्लिम वोट को भी अपने पक्ष में किया जा सकता है।

Aug 29, 2021 - 16:52
Aug 30, 2021 - 13:17
 0  61
UP चुनाव की तमाम अटकलबाजियों के बीच एक साथ दिखे ओवैसी, राजभर और चंद्रशेखर, क्या हैं इसके सियासी मायने
एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर और भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर से मुलाकात की। (फोटो – ट्विटर/ @asadowaisi)

Key Moments

दावेदारी पेश करने में जुटे एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शुक्रवार को सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर और भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर से मुलाकात की। यूपी चुनाव से पहले हुई इस मुलाकात के कई सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं।

शुक्रवार को दोनों नेताओं से मुलाकात के बाद ओवैसी ने मीटिंग की फोटो अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर की। इस तस्वीर के आते ही तीनों दलों के एकसाथ आने की अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। कहा जा रहा है कि ओम प्रकाश राजभर की अगुवाई में बने भागीदारी संकल्प मोर्चा में अब भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी भी शामिल हो सकती है। हालांकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी पहले से ही इस गठबंधन में शामिल हैं और उन्होंने साथ में विधानसभा चुनाव लड़ने का भी ऐलान किया है।
यूपी के राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इस गठबंधन के सहारे दलित और पिछड़े वोट बैंक के साथ मुस्लिम वोट को भी अपने पक्ष में किया जा सकता है। अगर ये तीनों दल एक साथ आते हैं तो विधानसभा चुनाव में कई पार्टियों के लिए राजनीतिक समीकरण बदल जाएंगे। यादव, मुस्लिम और पिछड़े वोट बैंक के सहारे लखनऊ पहुंचने की तैयारी कर रहे अखिलेश यादव पर भी इस संभावित गठबंधन का प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही दलित-ब्राह्मण वोट बैंक के जरिए सत्ता की चाबी पाने का सपना देख रही मायावती की पार्टी बसपा के लिए राजनीतिक समीकरण बदल सकता है।
हालांकि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए कई बड़ी पार्टियां बड़े दलों के साथ गठबंधन करने के बजाय छोटी पार्टियों को साथ लाने की कोशिश कर रही हैं। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसी को ध्यान में रखते हुए जनवादी पार्टी और महान दल जैसी छोटी पार्टियों के साथ चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। अखिलेश कई और छोटे दलों को भी साथ लाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

राज्य में सत्ताधारी भाजपा भी छोटे दलों की नाराजगी दूर कर गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश में जुटी हुई है। पार्टी इस बार भी अपना दल, निषाद पार्टी जैसे सहयोगियों के साथ ही चुनाव लड़ने की तैयारी में है। उत्तरप्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में करीब 32 छोटी पार्टियों ने चुनाव लड़ा था। जिसमें उनके प्रत्याशियों को काफी अच्छी संख्या में वोट मिले थे। इसलिए इस बार के चुनाव में सभी पार्टियां अपनी दावेदारी मजबूती से पेश करने के लिए छोटे दलों को साथ लाने की कोशिश कर रही हैं।

अस्वीकरण

This post has been self-published. Vews.in neither endorses, nor is responsible for the views expressed by the author.. Profile .

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

ISHARAT ALI SHEIKH Freelance journalist Editor In Chief At indiatopic.in