मुज़फ़्फ़रनगर में फर्जी आईडी बनाकर लोन पास कराकर गाडी निकालने वाले गैंग का पर्दाफ़ाश

REPORTER
Dec 1, 2021 - 10:51
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मुज़फ़्फ़रनगर में फर्जी आईडी बनाकर लोन पास कराकर गाडी निकालने वाले गैंग का पर्दाफ़ाश

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मुजफ्फरनगर। फर्जी आईडी बनाकर लोन पास कराकर गाड़ी निकालने वाले गैंग का पर्दाफाश करते हुए थाना नई मंडी पुलिस ने 4 गाड़ियां बरामद कर 4 बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया है।

इस मामले में एसपी सिटी अर्पित विजयवर्गीय ने पुलिस लाइन में पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि थाना नई मंडी पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए फर्जी लोन कराकर निकाली गई 4 लग्जरी गाड़ियां, जिनकी कीमत लगभग 70 लाख रुपये हैं, बरामद कर 4 अभियुक्त गिरफ्तार किए हैं। एसपी सिटी ने बताया कि इस मामले में संदीप कुमार पुत्र स्व. ब्रजपाल सिंह एडवोकेट  थाना नई मण्डी द्वारा अपने आधार कार्ड व पेन कार्ड के कुटरचित दस्तावेज बनाकर फर्जी तरीके से 1,19,556 रुपये का क्रेडिट कार्ड एवं 17,50,243 रुपये का आटो लोन कराया गया। आटो लोन पर एक टाटा हैरियर को निकाला गया है।  इस सम्बन्ध में थाना नई मण्डी पर अपराध संख्या-601/ धारा 21, 420, 467, 468, 471 आईपीसी पंजीकृत कर टीम का गठन कर अभियुक्तों की तलाश की गई। इस गैंग का पर्दाफाश करते हुए थाना नई मण्डी पुलिस द्वारा 4 शातिर अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार अभियुक्तों के नाम अंकुश त्यागी पुत्र मुकेश त्यागी निवासी 1028/8 रामपुरी थाना कोतवाली नगर, आलोक त्यागी पुत्र बिजेन्द्र त्यागी निवासी एकता बिहार रुडकी रोड थाना कोतवाली नगर, संदीप कुमार पुत्र जयभगवान निवासी गली न.-22 गांधी कालोनी थाना नई मंडी, सुधीर कुमार पुत्र रामपाल सिंह मकान नम्बर-17 गाँधी नगर थाना नई मंडी निवासी है।

बरामदगी का विवरण देते हुए एसपी सिटी ने बताया कि गाड़ी नम्बर यूके-7 डीएस 4871, हुडई वेन्यू बिना नम्बर, गाडी टाटा हैरियर, क्रेटा रंग सफेद न. पी-12 बीसी 6856 और 1700/- रुपये बरामद किए है।  बरामद गाड़ियां लगभग 5-6 महीने पहले कम्पनी से निकाली गयी है, जिनकी कीमत लगभग 70 लाख रुपये है। घटना करने का तरीका बताते हुये एसपी सिटी ने जानकारी दी कि यह गैंग फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड व फर्जी फोटो बनाकर बैंक में कागज जमा कर लोन पास कराकर नई गाडी कम्पनी से खरीद लेते है। यह लोग अब तक करीब 15 गाड़ियों का फर्जी फाइनेंस करा चुके है। एक गाडी को खरीदने के लिये गाड़ी की कीमत का 20 प्रतिशत बैंक में जमा कराते है, जिसमें फर्जी पता होने के कारण बैंक उसे ट्रेस नहीं कर पाता है। इस गैंग में एक फाइनेन्सर होता है और दो तीन लोग फर्जी कागज तैयार करते है तथा फर्जी फोटो देते है। इस गैंग की बैंककर्मियों से मिलीभगत होती है। यह लोग खरीदी हुई गाड़ी को  खरीदने बेचने का काम करने वाली डीलरों को पूरे रेट में बेच देते है। इस गैंग में गाड़ी बेचने पर आए हुए रुपयों को अपना एक हिस्सा होता है और आपस में पैसे बेचने के बाद बांट लेते है।

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Kawal Hasan Kawal Hasan is a well-known journalist in the world of journalism, who spends his valuable time writing for our platform. Join Vews.in to deliver your message to the Indian expatriates in the world