तेरी राहों में नजरों को बिछाए बैठे हैं | शायरी फ़ुरकान एस खान

तेरी राहों में नजरों को बिछाए बैठे हैं, अपने अश्कों को हथेली पे उठाए बैठे हैं। शायरी फ़ुरकान एस खान

तेरी राहों में नजरों को बिछाए बैठे हैं | शायरी फ़ुरकान एस खान
तेरी राहों में नजरों को बिछाए बैठे हैं | शायरी फुरकान एस खान

तेरी यादों का मौसम यूँही बरकरार रहे,

हर साँस में तेरा एहसास बार-बार रहे।

चाहे दूर रहे या क़रीब आ जाए,

दिल में तेरी चाहत सदा बरकरार रहे।

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तू मिले या न मिले जाना, ये मुकद्दर की बात है,

पर दुआ है फुरकान तेरा साया मेरे दरकार रहे।

हर शब तेरी यादों में जलता रहा हूँ,

चाहत का ये चराग सहर तक उदास रहे।

इश्क़ की रहगुज़र में मुसाफ़िर हूँ मैं,

तेरे बिन ये सफ़र भी सूना-सूना रहे।

— Furkan S Khan

[घर की याद में]

तेरी राहों में नजरों को बिछाए बैठे हैं,

अपने अश्कों को हथेली पे उठाए बैठे हैं।

तू जो आए तो सजा दूँ मैं ये उजड़ा दिल,

इसी उम्मीद में दीपक जलाए बैठे हैं।

बिछड़ कर भी तेरा नाम जुबां पे आता है,

हम मोहब्बत की रिवायत निभाए बैठे हैं।

कभी आओ तो देखो ये तसव्वुर मेरा,

तेरी यादों का मौसम हम बसाए बैठे हैं।

— Furkan S Khan

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Poetry Official | Verified Expert • 30 May, 2025

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